स्मार्ट सिटी की तर्ज विकसित हो रहा क्यारकुली भट्टा गांव

देहरादून, सरकार की विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत जिम,फील्ड,स्कूल,अस्पताल, रोड, लाइट जैसी सभी बुनियादी सुविधाएं पहुंच चुकी हैं इस ग्राम-पंचायत में। ये है क्यारकुली भट्टा गांव की स्थिति- देहरादून से दूरी-22 किमी, कुल मजरों की संख्या- 7,कुल परिवार-316, कुल आबादी-2600, ये हैं मजरे- बीरधार, बासागाड, नाग मंदिर, तुनधार, क्यारकुली,चोपडासार, भट्टा। ये हुए हैं विशेष कार्य–हर घर को रोड से जोड़ने का प्रयास, एक करोड़ दस लाख रुपये से सड़क निर्माण कार्य, हर घर जल,हर घर नल, 45 लाख के पहले फेज के कार्य, गांव में स्ट्रीट लाइट, 15 हजार पौधरोपण,-सड़क के पास बैंचेज, क्यारकुली गांव में पूर्ण रूप से अंडर ग्राउंड नाली निर्माण कार्य।
पहाड़ों की रानी मसूरी की गोद में बसा क्यारकुली भट्टा गांव देहरादून से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर  स्थित है।  ये मुख्य पर्यटक स्थल है। झील और भट्टा फॉल इस ग्राम पंचायत से लगे हुए है। मसूरी का सबसे पौराणिक नाग मंदिर भी इसी ग्राम पंचायत में स्थित है। ये कृषि प्रधान गांव रहा है। यहां के मीठे भुट्टे बेहद प्रसिद्ध है,जिसके कारण यहाँ का नाम भट्टा पड़ा।यहां सबसे ज्यादा क्यारी बनने के कारण इसको क्यारकुली बुलाया गया। यही वजह है कि इस ग्राम पंचायत का नाम क्यारकुली भट्टा पड़ा। आज यह गांव स्मार्ट विलेज की तरह दिखने लगा है। यहां पर शहर जैसी सुविधाएं मौजूद हैं। गांव के लोग भी खुश और संतुष्ट दिखते हैं, लेकिन कुछ साल पहले तक ऐसा नहीं था। गांव की तस्वीर एकदम अलग थी। पीने का पानी तक नहीं था। सड़क नहीं थी , गांव में सैनिटेशन की कोई व्यवस्था नहीं थी। यहां बुनियादी सुविधा नहीं होने की वजह से लोग पलायन करने लगे थे, लेकिन अब गांव की स्थिति एकदम बदल गई है। यहां हर घर नल है। सीवर लाइन और ग्रे-वाटर मैनेजमेंट को लेकर विशेष कार्य किए जा रहे हैं। गांव में फील्ड, जिम और पंचायत घर का रेनोवेशन कर इसको मॉडल विलेज बनाया जा रहा है । इसके साथ ही यह उत्तराखंड का पहला स्मार्ट विलेज बनने जा रहा है । गांव की तस्वीर बदलने में पंचायती राज विभाग की बड़ी भूमिका है ,तो वही गांव की इस बदली हुई सूरत में ग्राम प्रधान की भी बड़ी भूमिका रही है। गांव में पानी ,रोड आंगनबाड़ी, अस्पताल सहित अन्य बुनियादी सुविधाएं होने के चलते ग्रामीण अब वापस गांव की ओर लौटने लगे हैं। इसके साथ ही पूरी क्यारकुली भट्टा ग्राम पंचायत अब खुशहाल और विकसित नजर आ रही है।
क्यारकुली भट्टा  ग्राम पंचायत में 7 मजरे हैं,जिनमें 316 परिवार रहते हैं । गांव की आबादी कुल 2600 है। इसी पंचायत में गलोगी पावर हाउस है, जो भारत का पहला विद्युत पावर प्लांट है। भारत में पहला बल्ब यही जला था।  गांव में जल जीवन मिशन के तहत बासागाड  में 8 किलोमीटर लंबी लाइन बिछाते हुए भीतरली पंचायत से यहां पानी पहुंचाया तो वही बीरधार  में 2 किलोमीटर की लाइन बिछाते हुए अंजना खाला से पानी की व्यवस्था करवाई। नाग मंदिर और चोपड़ासार में सड़क नहीं थी। ऐसे में इन दोनों जगह सड़क निर्माण कराया गया। क्यारकुली गांव के ऊपरी भाग को जोड़ने के लिए यहां सड़क बनाई गई ।जिसमें कुल 30 लाख खर्च हुआ। जिसमें 20 लाख मनरेगा से 7 लाख विधायक निधि से 3 लाख जिला पंचायत से खर्च किया गया। वहीं 6 लाख  एमडीडीए से लेकर साथ में रेलिंग भी बनाई गई । गांव में 12 लाख की लागत से यहां नालियां बनाई गई।  हर घर स्वच्छ जल के तहत पानी के टैंक में हाइपोक्लोराइट मिलाए जाने की व्यवस्था की गई। गांव में इस समय महिलाएं खुद पानी की टेस्टिंग करती है । महिलाओं को फील्ड टेस्टिंग के लिए किट मुहैया कराई गई है। स्वच्छता पेयजल समिति इसकी समय-समय पर मॉनिटरिंग करती है। यही नहीं पहले चरण में उत्तराखंड के 75 और दूसरे में 52 प्रधान यहां पानी की टेस्टिंग का काम देखने आ चुके हैं । साथ ही उन्होंने यह भी देखा कि जल जीवन मिशन के तहत यह ग्राम पंचायत कैसे काम कर रही है। यही नहीं स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस संबंध में पानी समितियों की मीटिंग के तहत यहाँ की सराहना कर चुके हैं । इस ग्राम पंचायत में 21 लाख के कृषि यंत्र बांटे गए हैं ।  ताकि ग्रामीणों को खेती करने में सहूलियत हो सके। पंचायती राज विभाग की ओर से ग्राम सभा में स्वागत द्वार के साथ ही जिम ग्रे-वाटर मैनेजमेंट, स्ट्रीट लाइट सहित अन्य कार्य किए जा रहे हैं। भट्टा गांव में पंचायत फंड से टीन-शेड निर्माण किया गया। गांव के मनियाड (सांस्कृतिक स्थल)का चैड़ीकरण किया गया है।  साथ ही इस गांव का चयन आई एम विलेज के तहत भी किया गया है। जड़ी-बूटी विभाग से इस ग्राम पंचायत में दो हजार दालचीनी के पौधे लगवाए गए हैं। हॉर्टिकल्चर विभाग की ओर से कम्पोस्ट पिट  बनवाए गए हैं। दो लाख की लागत से 45 परिवारों के लिए सामुदायिक शॉक-पिट बनाए गए हैं। तुनधार से साढ़े तीन सौ मीटर की रोड बनाई जा रही है। पंचायती राज विभाग की ओर से 12 लाख की लागत से ग्रे- वाटर मैनेजमेंट का कार्य किया जा रहा है  वहीं डेढ़ लाख की लागत  से जिम तैयार किया जा रहा है। क्यारकुली तोक में 108 परिवारों को अंडरग्राउंड ग्राउंड वाटर मैनेजमेंट से जोड़ा गया है। गांव में पर्याप्त पानी होने की वजह से अब यहां ग्रामीण अपना काम करने लगे हैं। पहले तक गाँव से पलायन कर  चुके ग्रामीणों ने यहां फिर से अपना घर बना लिया है और अपने ही गांव में कुछ न कुछ रोजगार करने लगे हैं। यहां अधिकतर ग्रामीण होम-स्टे बना कर अपना रोजगार करने लगे हैं। स्कूल और आंगनबाड़ी जहां नए सिरे से बनाए गए हैं वहीं अस्पतालों को भी सभी सुविधाओं से युक्त किया गया है।

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