देहरादून, दिव्य धाम आश्रम, दिल्ली में 24 से 30 अप्रैल तक ’श्रीकृष्ण कथा’ का भव्य एवं विशाल आयोजन किया जा रहा है। संस्थान द्वारा आयोजित कृष्ण कथा का प्रसारण संस्थान के यूट्यूब चौनल पर वर्चुअल वेबकास्ट के माध्यम से किया जा रहा है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक गुरुदेव आशुतोष महाराज की शिष्या कथा व्यास साध्वी आस्था भारती जी ने कथा के द्वितीय दिवस भक्त पुरंदरदास जी की आध्यात्मिक यात्रा का वर्णन किया।
श्रीकृष्ण के दिव्य ज्ञान-प्रकाश के अभाव में आज मानव समाज अज्ञानता के अंधकार में घिरकर पतन की ओर बढ़ रहा है। शरीर में हृदय से रक्त का संचरण तन-मन को पुष्ट करता है। उसी प्रकार आध्यात्मिक हृदय में परमात्मा का प्राकट्य परम चेतना को तन व समाज में तरंगित कर सद्गुणों को पोषित करता है। इसलिए कथा को सुनने तक ही सीमित न रहें बल्कि शास्त्रों के उद्घोष- “उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत् अर्थात उठो जागो और लक्ष्य को प्राप्त करो” इसे जीवन में चरितार्थ करें। प्रश्न यह नहीं है कि ईश्वर का दर्शन संभव है या नहीं, प्रश्न यह है कि आपके पास वो दिव्य दृष्टि है या नहीं? नेत्रहीनता का उपचार कराने के लिए नेत्र चिकित्सक के पास तो जाना ही होगा, यह एक अटल नियम है, जिसका पालन स्वयं एक नेत्र चिकित्सक को भी करना पड़ता है। ठीक ऐसे ही ईश्वर दर्शन की पिपासा को मन में लिए एक पूर्ण सद्गुरु की शरण में तो जाना ही होगा। संत पुरंदरदास जी ने भी इसी नियम का पालन किया और घट भीतर ही अपने विट्ठल को पा लिया।