देहरादून, राज्य आंदोलनकारी व कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि एक सितंबर का वीभत्स दिन हरेक आंदोलनकारी के दिलो-दिमाग में आज भी ताजा है। आज ही के दिन 1994 में खटीमा में पुलिस ने बर्बरता से सात आंदोलनकारियों को मौत के घाट उतार दिया था। आंदोलनकारियों की शहादत के बाद उत्तराखंड राज्य आंदोलन की चिंगारी पूरे प्रदेश भर में फैल गई थी। आज इसी खटीमा कांड की 27वीं बरसी है। उन्होंने उत्तराखंड आंदोलन में शहीद हुए आंदोलनकारियों को विनम्र श्रद्धांजलि दी।
उत्तराखंड राज्य हमें कई लोगों के बलिदान के बाद मिला है। लेकिन आज अपने राज्य की खस्ता हालत देखकर दुःख होता है। लाखों की संख्या में बेरोजगार युवा धक्के खा रहे हैं। युवाओं को सरकारी-गैरसरकारी नौकरी नहीं मिल रही। नौकरी सिर्फ नेताओं और अधिकारियों के रिश्तेदारों को ही मिल रही है। मूल निवास खत्म कर दिया गया है। परिसीमन से पहाड़ की विधानसभा सीटें घट रही हैं। जमीनों पर बाहरी लोगों का कब्जा हो गया है। जल-जंगल भी बिक गया है। आज तक उत्तराखंड की स्थायी राजधानी तय नहीं हो पाई है। स्वास्थ्य सेवाएं इतनी बदहाल हैं कि लोगों को इलाज के लिए बड़े शहरों की ओर जाना पड़ रहा है। शिक्षा व्यवस्था चैपट है। ये तमाम ऐसे सवाल थे, जिसको लेकर अलग राज्य बनाया गया था। आज हमारा राज्य सिर्फ लूट का अड्डा बन गया है। जो भी सत्ता में आ रहा है, वह इसे लूटे जा रहा है और हम सब तमाशबीन बने बैठे हैं।