हरिद्वार महाकुंभ मेले में आए साधु-संत, नागा बाबा अपनी-अपनी परंपरा के अनुसार तपस्या में लीन हैं। वहीं गंगा किनारे चिलचिलाती धूप में पांच नागा बाबा गर्म रेत पर अग्नि के घेरे में बैठकर तप कर रहे हैं। नागा बाबाओं का कहना है कि वह अपने गुरुओं की परंपराओं को आगे बढ़ा रहे हैं।
12 साल की तपस्या में लीन पांच नागा बाबा अलग-अलग मौसम में रहकर तपस्या कर रहे हैं। गर्मी में गर्म रेत पर बैठकर चारों तरफ अग्नि का घेरा बनाकर, सर्दी में पानी में खड़े होकर और बरसात में पेड़ के नीचे बैठकर यह साधु अपनी तपस्या में लीन रहते हैं। तपस्या कर रहे बाबा रविंद्र गिरि ने बताया कि उनका आश्रम मरौली गांव राजस्थान में हैं। उन्होंने बताया कि अलग-अलग नियमों के अनुसार तपस्या की जाती है। वह अपने गुरू महाराज की आज्ञा से 12 साल की तपस्या में जुटे हैं।