ऋषिकेश, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने यौन हिंसा के पीड़ितों के प्रति गहरी संवेदनायें व्यक्त करते हुये कहा कि संघर्ष के दौरान और अभी कोविड-19 महामारी के दौर में भी यौन हिंसा के मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। यौन हिंसा से पीड़ित सदस्य और उनका पूरा परिवार जीवन भर इस सदमे से बाहर नहीं निकल पाते साथ ही कई स्थानों पर उन्हें एक कंलक की तरह देखा जाता है और उन्हें सामाजिक बहिष्कार और अपमान का सामना भी पूरी जिन्दगी करना पड़ता है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि यौन हिंसा एक प्रमुख वैश्विक समस्या है। इससे शिकार लोगों को अपर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं, कानूनी सहायता के बिना, असुरक्षा और डर के साये में जीवन यापन करना पड़ता हैं इसलिये हम सभी को मिलकर यौन हिंसा जैसे जघन्य अपराधों को समाज से समाप्त करने के लिये आगे आना होगा। यौन हिंसा वैश्विक स्तर पर पनप रही एक सामाजिक बुराई है जिससे उबरने के लिये ठोस रणनीति बनाने की आवश्यकता है।
समाज में हो रहे बलात्कार, यौन दासता, जबरन वेश्यावृत्ति, जबरन गर्भावस्था, जबरन गर्भपात, जबरन नसबंदी, जबरन विवाह जैसी यौन हिंसाओं से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रतिदिन हजारों लोग गुजरते हैं। यह मानवीय व्यवहार और मानवाधिकार कानून के विरूद्ध हैं जो कि बेहतर समाज के निर्माण में एक बहुत बड़ी बाधा भी हंै।
स्वामी जी ने कहा कि एक बेहतर समाज के निर्माण की नींव परिवार स्तर से शुरू होती है। परिवारों को संस्कारों से सींचना होगा क्योंकि यह विषय पीड़ितों की गरिमा औैर आत्मसम्मान के साथ उनके पूरे परिवार के जीवन का भी है। कई बार तो पीड़ितों को पीढ़ी दर पीढ़ी असुरक्षा के साये में जीना होता है। यौन हिंसा मानवता और सामाजिक सुरक्षा दोनों के लिए एक बड़ा खतरा है।
स्वामी जी ने कहा कि जब समाज में नैतिकता का पतन होने लगता है, तब हिंसा का जन्म होता है। अतः यौन हिंसा को रोकने के लिये व्यापक स्तर पर जागरूकता के साथ शिक्षा और जेंडर इक्वलिटी बहुत जरूरी है। सामाजिक स्तर पर हम सभी को एकजुट होकर एक ऐसा माहौल तैयार करना होगा जहां पर यौन हिंसा से पीड़ित भी सम्मान के साथ जीवन यापन कर सकें। यौन हिंसा को रोकने के लिये राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय कानून हैं परन्तु यह मामला मानसिकता का भी है, अतः इसके लिये प्रत्येक व्यक्ति, परिवार और संस्था को अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी क्योंकि हिंसा फैलाने वाले लोग समाज के बीच से ही आते हैं। स्वामी जी ने विशेष कर युवाओं का आह्वान करते हुये कहा कि एक बेहतर समाज के निर्माण में सहयोग प्रदान करें, जहां हर व्यक्ति सम्मान के साथ जी सके।