हर महिला की सुरक्षित डिलीवरी कर जच्चा-बच्चा दोनों का सफल इलाज किया गया।

मानव जीवन पाकर यदि हम दूसरों के काम आ सकें तो समझ लीजिए जीवन सफल हो गया। कोरोनाकाल में हमारे बीच से ऐसे कई लोग निकलकर आए, जिन्होंने अपना जीवन दांव पर लगाकर दूसरों की रक्षा की। इनमें भी चिकित्सकों ने जिस तरह से जनता की सेवा की, वह अपने आप में मिसाल है। चिकित्सकों में यदि गायनिकोलॉजी टीम को कोरोना योद्धा की सूची में सबसे ऊपर रखा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इन चिकित्सकों ने जच्चा-बच्चा के जीवन की रक्षा तो की ही, साथ ही दूसरों के जीवन में खुशियां भरने के लिए अपनों से दूरी बना ली।दून मेडिकल कॉलेज के गायनिकोलॉजी संकाय की हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ. चित्रा जोशी और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रीना पाल के नेतृत्व में संकाय ने लॉकडाउन लगने से अब तक करीब 400 गर्भवती महिलाओं को भर्ती किया। इनमें कोरोना संक्रमित या लक्षण वाली 200 से ज्यादा महिलाओं की अपनी जान पर खेलकर सुरक्षित डिलीवरी कराई।

रीना पाल बताती हैं कि इनमें कई महिलाओं को कोरोना के चलते डिलीवरी के समय सांस लेने में बहुत समस्या होने लगी थी, जिन्हें आइसीयू में भर्ती करना पड़ा। हालांकि, पूरी टीम के प्रयासों से हर महिला की सुरक्षित डिलीवरी कर जच्चा-बच्चा दोनों का सफल इलाज किया गया।

दूसरों की रक्षा करते हुए खुद पर भी आई आंच

ऐसा नहीं है कि पूरे कोरोनाकाल में दून मेडिकल अस्पताल की गायनिकोलॉजी टीम कोरोना से अछूती रह गई हो। जच्चा-बच्चा की देखभाल के समय इस टीम के लोग भी संक्रमण कीचपेट में आए। डॉ. रीना ने बताया कि उनकी टीम के दो डॉक्टर, नर्स और सफाई कर्मचारी जो कोरोना पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं की देखभाल में लगे थे, उन्हें भी संक्रमण हुआ। लेेकिन, उनकी बाकी टीम ने इससे डरने की बजाय सबक लेकर और ज्यादा सुरक्षा के साथ महिलाओं की देखभाल की।

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