उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड बना हुआ है श्रमिकों के शोषण का माध्यम -135 किलोमीटर दूर से आना पड़ता है श्रम कार्ड निर्गत करवाने के लिए देहरादून

विकासनगर, कांग्रेस नेता एवं ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स एंड एनवायरमेंट के अध्यक्ष भास्कर चुग ने विकासनगर में एक बयान जारी करते हुए कहा कि उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड जो कि श्रम विभाग उत्तराखंड के अंतर्गत आता है पर श्रमिक योजनाओं का लाभ श्रमिकों को ना देने उन्हें आपत्तियां लगाकर बार-बार परेशान करने और इसके साथ ही श्रमिकों का शोषण करने का आरोप उन पर लगाया है। भास्कर चुग ने कहा कि श्रम विभाग मुख्यमंत्री के अधीन होने के बावजूद आज उत्तराखंड का श्रमिक बहुत बुरी तरह से शोषण का शिकार है स संबंधित विभाग के अधिकारी अपनी अकर्मण्यता और आपराधिक लापरवाही के चलते श्रमिकों के इस शोषण का माध्यम बने हुए हैं स उन्होंने बताया कि श्रमिक की पुत्री की आर्थिक सहायता जोकि विवाह के उपरांत दी जाती है नियमानुसार ₹51000 धनराशि तय है स इसी प्रकार से यदि किसी श्रमिक की मृत्यु हो जाती है तो उसके लिए ₹200000 की धनराशि तय की गई है और यदि कार्य के दौरान उसकी मृत्यु होती है तो उसके लिए ₹400000 की धनराशि तय है स उन्होंने कहा कि विवाह की आर्थिक सहायता तथा मृत्यु की आर्थिक सहायता के आवेदन एक-एक वर्ष तक पेंडिंग पड़े रहते हैं लेबर इंस्पेक्टर से डीएलसी/एलसी तक घूमते रहते हैं, उनके शपथ पत्र में टाइपिस्ट द्वारा की गई छोटी-छोटी गलतियों के कारण इस प्रकार की आपत्तियां लगा दी जाती हैं कि या तो वह आवेदन पेंडिंग पड़े रहते हैं या फिर वह कुछ समय बाद बेवजह ही वे आवेदन निरस्त कर दिए जाते हैं। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि एक अनपढ़ अथवा बहुत कम पढ़े लिखे निर्माण श्रमिक से यह अपेक्षा विभाग करता है कि उसका आवेदन किसी भी तरह की त्रुटि से विहीन होना चाहिए स यदि उसके आवेदन में किसी प्रकार की कोई कमी होती भी है तो किसी भी श्रमिक को कभी कोई जानकारी नहीं दी जाती कि तुम्हारे आवेदन में यह कमी है अथवा उससे कभी कोई स्पष्टीकरण नहीं मांगा जाता बल्कि सीधे ही उसका आवेदन पेंडिंग में डाल दिया जाता है या निरस्त कर दिया जाता है जो कि श्रमिकों का बहुत बड़ा शोषण कहा जाना चाहिए।
कांग्रेस नेता भास्कर चुग ने कहा कि श्रम विभाग की इन बेहतरीन योजनाओं का जनता के बीच में श्रमिकों के बीच में श्रम विभाग द्वारा किसी प्रकार पर कोई प्रचार नहीं किया जाता, जिससे इन निर्माण श्रमिकों को उनके हित में बनाई गई इन योजनाओं का कोई लाभ ही नहीं मिल पाता स उन्होंने कहा कि श्रमिकों के लिए योजना है कि यदि किसी श्रमिक को चिकित्सीय सहायता की आवश्यकता पड़ती है तो उसके लिए 25 लाख रुपए तक का प्रावधान है, परंतु श्रमिकों को इस योजना की जानकारी ही नहीं है स श्रमिकों के पढ़ने वाले बच्चों के लिए छात्रवृत्ति की योजनाएं इस विभाग के अंतर्गत हैं लेकिन श्रमिकों को इसका लाभ  नही मिल पा रहा है स इसके साथ ही मेडिकल तथा वोकेशनल कोर्स के लिए 50ः तक की फीस विभाग द्वारा वहन किए जाने का प्रावधान है इसकी जानकारी भी श्रमिकों को नहीं दी जाती है। जबकि हैरानी की बात यह है कि श्रम विभाग का खुद का या सरकार का एक भी रुपया इन योजनाओं को चलाने में खर्च नहीं होता बल्कि प्रदेश में होने वाले तमाम निर्माण कार्यों पर 2ः लेबर सेस जो लगाया जाता है उसी लेबर से से यह योजनाएं चलाई जाती हैं स अर्थात यह श्रमिकों का अपना पैसा है जिसको सरकार से लेने के लिए उन्हें तरह-तरह के पापड़ बेलने पड़ते हैं। कांग्रेस नेता भास्कर चुग ने कहा कि सरकार इस बात की जांच कराएं कि जो आवेदन किसी श्रमिक द्वारा जून में किया गया है वह तो वेरीफाई हो गया है लेकिन जो आवेदन इसी वर्ष फरवरी में न किया गया वह अभी तक वेरीफाई नहीं हुआ है स  उन्होंने धामी सरकार से अपील की कि श्रमिकों के हित की योजनाओं का लाभ श्रमिकों को दिया जाए अन्यथा ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स एंड एनवायरमेंट कांग्रेस के साथियों को साथ लेकर सरकार के विरुद्ध बड़ा श्रमिक आंदोलन करने को बाध्य होगी।

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