सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में व्यवस्था दी है कि किसी कॉलेज के कोर्स को मान्यता देने के लिए विश्वविद्यालय एआइसीटीई की तरफ से तय मानकों को बढ़ा तो सकते हैं, लेकिन उन्हें इसमें कटौती करने का अधिकार नहीं है। शीर्ष अदालत ने यह भी माना कि मौजूदा समय में कोई भी विश्वविद्यालय अपने मानदंडों और मानकों को कम करने का जोखिम नहीं उठा सकता, खासकर तब जब अंतरराष्ट्रीय मानकों की कसौटी पर उसके प्रदर्शन का आकलन किया जा रहा हो। अदालत ने कहा कि मानदंडों और मानकों को बढ़ाने के विश्वविद्यालयों के अधिकार पर किसी तरह का संदेह नहीं किया जा सकता। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ ने एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय के फैसले को सही ठहराते हुए उसके खिलाफ दिए गए केरल हाई कोर्ट के आदेश को रद कर दिया। विश्वविद्यालय ने कॉलेजों के कोर्स को मान्यता देने के लिए मानकों को बढ़ाया था। पीठ ने कहा, हमारे विचार से इस मामले में केरल हाई कोर्ट का दृष्टिकोण सही नहीं है। हमारा मानना है कि विश्वविद्यालय अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) द्वारा तय मानकों को हल्का नहीं कर सकते, लेकिन निश्चित रूप से उन्हें मानदंडों और मानकों को बढ़ाने का अधिकार है।