एक लाख साधकों के रहने लायक शहर बसाने की योजना बना रहे बाबा रामदेव

हरिद्वार, पतंजलि योग पीठ के प्रांतीय महिला सम्मेलन में स्वामी रामदेव ने लोगों को योग से निरोग रहने के गुर सिखाए। उन्होंने महिलाओं को जननी बताते हुए उत्तराखंड की बहनों से सीख लेकर भारत ही नहीं विश्व में योग के माध्यम से परचम लहराने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वह जल्द ही एक लाख साधकों के रहने लायक शहर बसाने की योजना बना रहे हैं। रविवार को चौखुटिया के बाखली खेल मैदान में आयोजित पतंजलि योग पीठ के प्रांतीय महिला सम्मेलन का बाबा रामदेव ने दीप जलाकर शुभारंभ किया। बाबा रामदेव ने कहा कि सनातन धर्म के गौरव को वैश्विक प्रतिष्ठा दिलाते हुए आगे बढ़ाने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि योग को भारत में स्पोर्ट्स का दर्जा मिल चुका है। सभी स्कूलों में योग शिक्षा चल रही है। शीघ्र ही ओलंपिक में योग स्पोर्ट्स जुड़ जाएगा।
कहा कि उनके जीवन का हर क्षण, उनका रोम-रोम और पूरी संपत्ति राष्ट्र की संपत्ति है। वे हर भारतीय के जीवन को वैभवशाली बनाना चाहते हैं। उन्होंने उत्तराखंड की देव भूमि को योग, साधना के लिए विश्व में सर्वश्रेष्ठ बताते हुए कहा कि पहाड़ों में सुख सुविधाओं की कमी हो सकती है, लेकिन जीवन का असल आनंद यहां की वादियों में ही है। उन्होंने कहा कि वे कहीं भी जाएं परंतु योग साधना के लिए उत्तराखंड में ही आते हैं। उन्होंने कहा कि पहाड़ के जल, जंगल जमीन और जवानी को संवारने की दिशा में भी काम शुरू किया जा रहा है। पहाड़ के मडुवे व बिच्छूघास से लेकर पहाड़ी गाय के गोमूत्र को खरीदने का बीड़ा उठाया है।
कार्यक्रम का संचालन लीला जोशी व सीमा जौहर ने किया। कार्यक्रम में केंद्रीय महिला प्रभारी साध्वी देवप्रिया, भारतीय शिक्षा बोर्ड पतंजलि के चेयरमैन एमपी सिंह, मुख्य केंद्रीय प्रभारी राकेश मित्तल, राज्य प्रभारी भाष्कर ओली, महिला शाखा की राज्य प्रभारी सीमा जौहर, सह प्रभारी लक्ष्मी शाह, जानकी ओली, जिपं उपाध्यक्षा कांता रावत, ब्लॉक प्रमुख किरन बिष्ट आदि मौजूद रहे। केंद्रीय महिला प्रभारी साध्वी देवप्रिया ने कहा कि स्वदेशी अपनाने के साथ ऋषि मुनियों की इस भूमि को बहनों के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा है। सभी को समाज के साथ संगठन के रूप में रहना होगा तभी उत्तराखंड मॉडल के रूप में विकसित हो सकता है। ताकि उत्तराखंड में अंकिता भंडारी जैसी दुस्साहसिक और शर्मनाक कृत्य करने की हिम्मत भविष्य में कोई न कर पाए।

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