देहरादून, श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र में धार्मिक, पौराणिक एवं विरासत स्थलों को विकसित कर पर्यटन को बढ़ावा दिया जायेगा। इसके लिये कमलेश्वर मंदिर, श्रीनगर, धारीदेवी मंदिर, देवलगढ़, खिर्सू कण्डोलिया एवं क्यूंकालेश्वर मंदिर पौड़ी को जोड़कर श्रीनगर-पौड़ी पर्यटन सर्किट विकसित किया जायेगा। जिस पर पर्यटन एवं संस्कृति विभाग शीघ्र कार्य प्रारम्भ करेंगे। इस पर्यटन सर्किट के विकसित होने से जहां क्षेत्र में धार्मिक एवं आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा वहीं स्वरोजगार के अवसर भी विकसित होंगे।
कैबिनेट मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने आज विधानसभा स्थित सभागार में श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र में प्रस्तावित श्रीनगर-पौड़ी पर्यटन सर्किट की प्रगति की समीक्षा की, जिसमें पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे। डॉ0 रावत ने बताया कि श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र में पर्यटन की नई गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये श्रीनगर-पौड़ी के मध्य धार्मिक, पौराणिक, पर्यटक एवं विरासत स्थलों को विकसित एक पर्यटन सर्किट तैयार किया जायेगा। जिसमें कमलेश्वर मंदिर, श्रीनगर, धारीदेवी मंदिर, देवलगढ़, खिर्सू, कण्डोलिया मंदिर एवं क्यूंकालेश्वर मंदिर शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इस बहुप्रतिक्षित धार्मिक पर्यटन सर्किट को शीघ्र विकसित करने के लिये पर्यटन विभाग के अधिकरियों को निर्देश दे दिये गये हैं। वहीं अधिकारियों ने बताया कि पर्यटन सर्किट की सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी है जल्द ही इस पर काम शुरू कर दिया जायेगा। जिसके लिये प्रथम चरण में राज्य सरकार द्वारा रूपये 5 करोड़ की स्वीकृति दे दी गई है। पर्यटन सर्किट के अंतर्गत सभी धार्मिक स्थलों, मन्दिरों के पौराणिक, धार्मिक, सांस्कृतिक व ऐतिहासिक महत्व की संपूर्ण जानकारी को संक्षिप्त व सटीक रुप में शिलापट पर उकेरा जाएगा, इसके अलावा पर्यटन सर्किट में पर्यटकों के दृष्टिकोण से सौन्द्रीयकरण के साथ ही अन्य सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जायेगी। डॉ0 रावत ने कहा कि पर्यटन सर्किट विकसित होने से जहां एक ओर पर्यटन के नये आयाम स्थापित होंगे वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होगा। बैठक में अपर सचिव पर्यटन सी. रविशंकर, निर्देशक संस्कृति विभाग बीना भट्ट, उप सचिव धर्मस्व एवं संस्कृति विभाग विवेक जैन, महाप्रबंधक जीएमवीएन अनिल सिंह गर्ब्याल, सहायक अभियंता मनमोहन, कनिष्ठ अभियंता हरीश चैहान, अर्किटेक्ट अक्षय अग्रवाल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।