रूड़की (संवाददाता)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के शोधकर्ताओं की टीम ने प्रो. धर्मेंद्र सिंह के नेतृत्व में शैक्षिक / अनुसंधान संस्थानों द्वारा नागरिक-केंद्रित सेवाओं पर उत्कृष्ट अनुसंधान के लिए ई-गवर्नेंस हेतु राष्ट्रीय ‘स्वर्ण’ पुरस्कार प्राप्त किया है। टीम को यह पुरस्कार इलेक्ट्रोमैग्नेटिक शील्डिंग और खुफिया उपयोगों के उद्देश्य से ई-वेस्ट-आधारित माइक्रोवेव एब्जॉर्बिंग मैटेरियल के विकास के लिए प्रदान किया गया है।
ईएम प्रदूषण रोकने और खुफिया सैन्य कार्यों में आधुनिक इंजीनियरिंग के लिए रडार अवशोषित सामग्री (रैम) अनिवार्य रूप से आवश्यक है। लोक कार्य और रक्षा क्षेत्र में आरएएम के विभिन्न उपयोगों को ध्यान में रखते हुए यह इनोवेशन कम लागत पर सस्ते कच्चे माल और कम जटिल तकनीकियों से प्रभावी माइक्रोवेव अवशोषक के संश्लेषण और निर्माण की अहम् आवश्यकता पूरी करने में मदद करेगा।
इससे अंतिम रूप से उपयोग के लिए तैयार खुफिया समाधान और उत्पाद विकसित करने में मदद मिलेगी जैसे कि ईएमआई और हानिकारक मोबाइल फोन विकिरण से बचाव के लिए ई-कचरे और रडार अवशोषित सामग्री और पेंट्स से कैमोफ्लाज़ नेट तैयार करना।
हैदराबाद (तेलंगाना) में 7-8 जनवरी 2022 को ई-गवर्नेंस पर आयोजित 24 वें राष्ट्रीय सम्मेलन में ये पुस्कार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, पृथ्वी विज्ञान, प्रधान मंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के माननीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जीतेंद्र सिंह ने प्रदान किए।
शोध टीम की सराहना में प्रोफेसर अजीत कुमार चतुर्वेदी, निदेशक आईआईटी रूड़की ने कहा, “इस शोध विकास के उपयोग नागरिक और सैन्य दोनों क्षेत्रों में हैं। आशा है यह रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मानिर्भर भारत बनाने का लक्ष्य पूरा करने में योगदान देगा।’’ इस सामग्री की तकनीक और उपयोग के बारे में प्रो. धर्मेंद्र सिंह ने कहा, “नागरिक और रक्षा दोनों क्षेत्र में माइक्रोवेव अवशोषित सामग्री (एमएएम) के विभिन्न उपयोग देखते हुए सस्ते कच्चे माल और कम जटिल निर्माण तकनीकों से कम लागत पर प्रभावी माइक्रोवेव अवशोषकों का संश्लेषण और निर्माण ज़रूरी है। इसलिए प्रस्तावित समाधान का लक्ष्य ई-कचरे से वाइडबैंड (फ्रीक्वेंसीरू 1-18 गीगाहट्र्ज़) एमएएम विकसित करने का विकल्प देना है जिसमें उपयोगकर्ताओं के परिभाषित गुण विद्यमान हों।
इस तकनीक से संसाधनों जैसे सामग्री, समय, मानव संसाधन, लागत आदि की काफी बचत होगी।’’