दिल्ली। संस्कृत और हिंदी में आदित्य का अर्थ सूर्य होता है। ये अंतरिक्ष यान शनिवार दो सितम्बर को श्रीहरिकोटा से भारतीय समयानुसार सुबह 11.50 बजे अंतरिक्ष में रवाना हुआ। ये अंतरिक्ष यान असल में सूर्य के पास नहीं जाएगा।
जहां आदित्य एल1 को पहुंचना है उसकी दूरी पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर है। यह दूरी पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी की चार गुना है लेकिन सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी का बहुत मामूली, लगभग 1 प्रतिशत ही है। पृथ्वी से सूर्य की दूरी 15.1 करोड़ किलोमीटर है। अगर नासा के पार्कर अंतरिक्ष यान से तुलना करें जो कि एक हफ्ते पहले ही शुक्र से होकर गुजरा था, तो पार्कर सूर्य की सतह से 61 लाख किलोमीटर करीब होकर गुजरेगा।
हालांकि आदित्य एल1 को फिर भी अपने गंतव्य तक पहुंचने में समय लगेगा।इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी दी है, “लॉन्च से लेकर एल1 (लैंगरैंज प्वाइंट) तक पहुंचने में आदित्य एल-1 को लगभग चार महीने लगेंगे। मिशन में जिस एल1 का नाम दिया जा रहा है वो लैगरेंज प्वाइंट है।
यह अंतरिक्ष में एक ऐसी जगह है जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल संतुलित होता है। यहां एक किस्म का न्यूट्रल प्वाइंट विकसित हो जाता है जहां अंतरिक्ष यान के ईंधन की सबसे कम खपत होती है। इस जगह का नाम फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफ लुईस लैगरेंज के नाम पर रखा गया है जिन्होंने इस बिंदु के बारे में 18वीं सदी में खोज की थी।