ऋषिकेश, परमार्थ निकेतन में महिला बाल विकास अधिकारी पधारे। उन्होेंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती से भेंट की। चर्चा के दौरान ‘शक्ति यात्रा’ और महिला और बाल विकास के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। परमार्थ निकतन, उत्तराखंड सरकार और महिला बाल विकास मंत्रालय एवं डिवाइन शक्ति फाउंडेशन के साथ मिलकर ‘शक्ति यात्रा’ के शुभारम्भ की योजना बना रहे हैं। जिसके अन्तर्गत महिला सशक्तिकरण से संबधित विषय, महिलाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा, जीविका, लिंग आधारित समानता आदि कई विषयों को लेकर शक्ति यात्रा का शुभारम्भ किया जायेगा। जिसे उत्तराखंड में तीन चरणों में पूर्ण किये जाने की योजना बनायी जा रही है। उत्तराखंड के कई जिलों में लिंग आधारित असमानता व्याप्त है। शक्ति यात्रा के माध्यम से इसके प्रति जनमानस को जागृत किया जायेगा।
ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस, परमार्थ निकेतन, द्वारा युवा सशक्तिकरण के लिये लाइफ स्किल प्रोग्राम चला रहे हैं। राष्ट्रीय किशोरी कार्यक्र्रम के अन्र्तगत किशोरी स्वास्थ्य सुरक्षा प्रोग्राम तथा अन्य प्रोग्राम जो किशोर-किशोरियों के विकास के लिये समर्पित हैं उन कार्यक्रमों की सभी को जानकारी हो तथा उसका लाभ सभी को मिल सके ताकि हमारे प्रदेश का कोई भी युवा पढ़ाई से वंचित न रह सके।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने बताया कि ’शक्ति है तो सृष्टि है और युवा देश की शक्ति है, समृद्धि है। बिना नारी के घर केवल मकान होता है क्योंकि नारी ही उसे घर बनाती है। ऐसे ही युवा किसी भी देश की समृद्धि और विकास का आधार है इसलिये युवाओं को शिक्षित करना और उनमें कौशल विकसित करना करना जरूरी है। स्वामी जी ने कहा कि हम दुनिया को बदलने की बात करते हैं, दुनिया को बदलने के लिये बेटियों को शिक्षित करना उन्हें जीवन देना, युवाओं में कौशल विकसित करना तथा महिलाओं को रोेजगार से जोड़ना बहुत ही जरूरी है। किशोर-किशोरी शिक्षित होंगे तो न केवल परिवार समृद्ध होगा बल्कि राष्ट्र भी उन्नति के शिखर को छुएगा। हम इक्कीसवीं सदी में जी रहे, लिंग आधारित हिंसा और लिंग असमानता को समाप्त करने के लिये वर्तमान समय के सभ्य और सुंस्कृत समाज की सोच को बदलने की जरूरत हैय बेटा तथा बेटी के बीच के अन्तर को दूर करने की आवश्यकता है और इस ओर हर भारतीय का थोड़ा सा प्रयास देश का वर्तमान और भविष्य बदल सकता है।’’ स्वामी चिदानन्द सरस्वती के साथ महिला और बाल विकास अधिकारी तथा दल के अन्य सदस्यों ने विश्व ग्लोब का जलाभिषेक कर जल संरक्षण का संदेश दिया।