सिस्टम (ड्रोन तकनीक) अभी अपने प्रारंभिक चरण में है। इससे विभिन्न आवाजों एवं तरंगों के माध्यम से जानवरों को भगाया भी जा सकेगा।

उत्तराखंड में पर्वतीय कृषि में जंगली जानवरों और फसल में लगने वाली बीमारियों से परेशान किसान खेती से विमुख होकर पलायन को मजबूर हैं। पंतनगर विवि के प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के तहत वित्त पोषित ड्रोन प्रोटेक्शन सिस्टम फॉर हिल फार्म परियोजना के तहत डिजाइन इनोवेशन सेंटर की छात्राओं ने एक ऐसी नई तकनीक ईजाद की है जिससे किसानों को इन दोनों समस्याओं से निजात मिल सकेगी। डीन अलकनंदा अशोक के नेतृत्व में छात्राओं ने ऐसी ड्रोन तकनीक की खोज की है, जो फसल में बीमारियों की पहचान तो करेगी ही जंगली जानवरों के खेत में घुसने पर अलार्म भी बजाएगी।

किसान मेले में लगे स्टॉल पर मौजूद छात्राओं ने बताया कि यह सिस्टम (ड्रोन तकनीक) अभी अपने प्रारंभिक चरण में है। इससे विभिन्न आवाजों एवं तरंगों के माध्यम से जानवरों को भगाया भी जा सकेगा। इससे किसानों को व्यक्तिगत क्षति भी नहीं पहुंचेगी। इस सिस्टम से फसलों पर लगने वाली बीमारियों का पता लगाकर बीमारियों को आगे फैलने से भी रोका जा सकेगा।

ड्रोन पर रैसबैरी पाई नामक प्रोग्रामेबल मिनी कंप्यूटर लगाया गया है, जो इन कार्यों के लिए जरूरी प्रोसेसिंग करता है। किसान मेले में प्रौद्योगिक महाविद्यालय के स्टॉल भ्रमण के दौरान राज्यपाल बेबी रानी मौर्या ने भी वहां प्रदर्शित तकनीकों में विशेष दिलचस्पी दिखाते हुए सोलर कोल्ड स्टोरेज एवं ड्रोन तकनीक की विशेष रूप से सराहना करते हुए इसे पर्वतीय किसानों के लिए बहुपयोगी बताया।

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