बेरोजगारों की पीड़ा कम करने में नाकाम हुई सरकारः मोर्चा -बेरोजगारी दर में अप्रत्याशित वृद्धि सरकार की नाकामी -बेरोजगारी दर दर्शाई गई 8.7 फ़ीसदी, लेकिन धरातल पर कहीं अधिक -सरकार ने कभी बंद होते उद्योगों की नहीं करी समीक्षा -रोजगार के संसाधन कैसे बढ़ें, सरकार को नहीं रही चिंता

विकासनगर, जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि सरकार की नाकामी एवं अदूरदर्शिता के चलते बेरोजगारी दर 8.7 फ़ीसदी हो गई है, अगर इन आंकड़ों की धरातल पर बात करें तो ये कहीं अधिक हैं द्य बेरोजगारी दर का बढ़ना बहुत ही चिंता का विषय है। नेगी ने कहा कि प्रदेश में बेरोजगारों की फौज लगातार बढ़ती जा रही है ,लेकिन सरकार ने कभी भी धरातल पर इसकी चिंता नहीं की।
सरकार को अगर फिक्र है तो सिर्फ शराब/खनन कारोबारियों की। नेगी ने कहा कि प्रदेश में बंद होते उद्योगों को कैसे बचाया जाए एवं नए उद्योग कैसे स्थापित हों, कृषि बागवानी के क्षेत्र में कैसे किसानों की आर्थिकी मजबूत की जाए, सरकार ने कभी समीक्षा नहीं की। कृषि के क्षेत्र में फर्जी आंकड़े दर्शाकर राष्ट्रीय पुरस्कार जरूर हासिल किए गए, जोकि शर्मसार करने के लिए काफी  हैं। आज हालात यह हैं कि बाजार में मंदी के चलते उद्योगों ने उत्पादन कम कर दिया है तथा मांग कम होने की वजह से काम करने वाले श्रमिकों को निकालने का बहाना ढूंढा जा रहा है तथा उस काम में असफल होने पर उनका अन्यत्र बहुत दूर स्थानांतरण कर दिया जाता है, मजबूरन श्रमिक को नौकरी छोड़नी पड़ती है। आए दिन अधिकांश उद्योगों के बाहर बेरोजगार युवाओं की भीड़ में से कुछ युवाओं को काम की आवश्यकता के हिसाब से काम पर दिहाड़ी- मजदूरी के तौर पर रखा जाता है, अगले दिन उसकी किस्मत है कि दिहाड़ी लग जाए। नेगी ने कहा कि प्रदेश के उच्च शिक्षित व डिप्लोमा/डिग्रीधारी बेरोजगार युवक 5-7 हजार की नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, लेकिन सरकार के पास कोई एक्शन प्लान नहीं है। नेगी ने कहा कि सरकार ने कभी लघु उद्योगों एवं छोटे व्यवसायियों के हित में चिंतन नहीं किया, जिसका नतीजा यह हुआ कि इनका धैर्य भी जवाब दे गया है।

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